अयोध्या की जमीन ट्रस्ट को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया अवैध

खबर सुने

अयोध्या में जमीन विवाद के एक मामले में हुई जांच में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को जमीन ट्रांसफर किए जाने को अवैध पाया गया है. ट्रस्ट को ट्रांसफर हुई इसी जमीन को खरीदने वालों में बड़े अधिकारी और विधायक तक शामिल हैं.उत्तर प्रदेश में अयोध्या के असिस्टेंट रिकॉर्ड ऑफिसर यानी एआरओ की कोर्ट ने दलितों की करीब 21 बीघा जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को ट्रांसफर करने के सरकारी आदेश को अवैध माना है. यह जमीन 22 अगस्त 1996 को ट्रांसफर की गई थी|

एआरओ कोर्ट ने ट्रांसफर वाले सरकारी आदेश को अवैध घोषित कर जमीन राज्य सरकार को सौंप दी है. इसका मतलब हुआ कि कोर्ट ने जमीन ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया को ही अवैध माना है. हालांकि कोर्ट ने ट्रस्ट के खिलाफ किसी कार्रवाई की सिफारिश नहीं की है क्योंकि कोर्ट के मुताबिक, इसमें किसी तरह की जालसाजी नहीं की गई है. पिछले साल 22 दिसंबर 2021 को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसके मुताबिक, अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन के दाम काफी बढ़ गए|

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन खरीदने वालों में अयोध्या में तैनात कई नौकरशाह, उनके रिश्तेदार और जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं. जिस जमीन पर एआरओ कोर्ट का फैसला आया है, वह रामजन्मभूमि स्थल से करीब पांच किलोमीटर दूर है और कुछ दलित समुदाय के लोगों ने दलितों से जमीन खरीद कर ट्रस्ट को दान किया था. बाद में इसी जमीन को ट्रस्ट ने अयोध्या के कई हाईप्रोफाइल लोगों को बेच दिया. इंडियन एक्सप्रेस में खबर छपने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले ही दिन जमीन सौदों की जांच के आदेश दे दिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *