देहरादून।जनपद पौड़ी की विधानसभा सीट चौबट्टाखाल वर्ष 2012 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट का अधिकतर हिस्सा वर्ष 2002 से 2012 तक बीरोंखाल विधानसभा में शामिल था। इस पूरे क्षेत्र में महाराज परिवार का दबदबा रहा है।
वर्ष 2012 के परिसीमन से पहले बीरोंखाल सीट से 2002 व 2007 में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत लगातार विधायक रही हैं।
इस क्षेत्र से दो मुख्यमंत्री (क्षेत्र के मूल निवासी त्रिवेंद्र सिंह रावत व इस सीट से विधायक रहे तीरथ सिंह रावत) बने हैं। क्षेत्रीय विधायक सतपाल महाराज कद्दावर नेता व कैबिनेट मंत्री हैं। चुनावी समर में यह सीट प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार है। जिले में यह अकेली विधान सभा सीट है, जिसमें विधानसभा चुनाव 2017 व लोकसभा चुनाव 2019 के सापेक्ष मतदाताओं की संख्या घटती जा रही है।
मतदाता
कुल मतदाता- 90875
पुरुष मतदाता- 45535
महिला मतदाता- 45340
प्रमुख मुद्दे
– सतपुली व स्यूंसी झील अभी अस्तित्व में नहीं आई है।
– व्यास चट्टी से सतपुली, ज्वाल्पा-कनमोठलिया पुल-मांसौं-पाबौ-पैठाणी-कर्णप्रयाग मोटर मार्ग को चारधाम यात्रा सर्किट से जोड़े जाने का है इंतजार।
– द्वारीखाल ब्लाक के भैरवगढ़ी व पोखड़ा के दीवाडांडा में रोपवे की घोषणा धरातल पर नहीं उतरी।
एकेश्वर ब्लाक की वर्षों पुरानी मांग भूमियाडांडा और ज्वाल्पा पंपिंग योजना की स्वीकृति से आधे से ज्यादा ब्लाक के गांवों को पेयजल सुविधा मिलेगी। विभिन्न सड़कों के निर्माण समेत कई अन्य विकास कार्य भी धरातल पर नजर आ रहे हैं।
सतपुली और स्यूंसी झील के निर्माण से हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने में दोनों झीलें मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। चौबट्टाखाल विधान सभा क्षेत्र में विगत पांच वर्षों के दौरान 1 अरब की धनराशि के विकास कार्य हुए हैं। सतपुली झील 1 करोड़ 43 लाख, स्यूंसी झील 48 करोड़ 24 लाख की लागत से तैयार हो रही है। इन झीलों के चारों को पर्यटन विकास को लेकर होमस्टे बनेंगे। साथ ही इनसे सिंचाई व भूजल स्तर में वृद्धि होगी। रसिया महादेव पंपिंग पेयजल योजना, गुजरखंड पंपिंग योजना, बेदीखाल-जोगमढ़ी पंपिंग योजना, भूमियाडांडा, ज्वाल्पा-नौगांव, वरसुंड देवता पंपिंग पेयजल योजना, अनेक सड़क निर्माण कार्यों के साथ ही सिंचाई के क्षेत्र में कई कार्य हुए हैं। पर्यटन के क्षेत्र में एकेश्वर, ज्वाल्पा, ताड़केश्वर व कालिंका को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। दीवा डांडा को ट्रेकिंग रूट बनाया गया है। कोविडकाल खत्म होने के बाद यहां से पर्यटक सूर्योदय के मनोहारी दृश्य का लुत्फ ले पाएंगे। पीएमजीएसवाई व लोनिवि के माध्यम से सड़कों का जाल बिछाने का कार्य किया गया है। कोविडकाल में जनता के बीच राशन वितरण के साथ-साथ मास्क, सैनिटाइजर सहित अन्य सामग्री वितरित की गई। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड लगाए जाने के साथ ही ऑक्सीजन जनरेटर सतपुली अस्पताल में लगाया गया है। समस्त अस्पतालों में कोविड जांच के साथ अन्य जांचों के लिए उपकरण प्रदान किए गए हैं।
सतपुली और स्यूंसी झील के निर्माण से हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने में दोनों झीलें मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। चौबट्टाखाल विधान सभा क्षेत्र में विगत पांच वर्षों के दौरान 1 अरब की धनराशि के विकास कार्य हुए हैं। सतपुली झील 1 करोड़ 43 लाख, स्यूंसी झील 48 करोड़ 24 लाख की लागत से तैयार हो रही है। इन झीलों के चारों को पर्यटन विकास को लेकर होमस्टे बनेंगे। साथ ही इनसे सिंचाई व भूजल स्तर में वृद्धि होगी। रसिया महादेव पंपिंग पेयजल योजना, गुजरखंड पंपिंग योजना, बेदीखाल-जोगमढ़ी पंपिंग योजना, भूमियाडांडा, ज्वाल्पा-नौगांव, वरसुंड देवता पंपिंग पेयजल योजना, अनेक सड़क निर्माण कार्यों के साथ ही सिंचाई के क्षेत्र में कई कार्य हुए हैं। पर्यटन के क्षेत्र में एकेश्वर, ज्वाल्पा, ताड़केश्वर व कालिंका को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। दीवा डांडा को ट्रेकिंग रूट बनाया गया है। कोविडकाल खत्म होने के बाद यहां से पर्यटक सूर्योदय के मनोहारी दृश्य का लुत्फ ले पाएंगे। पीएमजीएसवाई व लोनिवि के माध्यम से सड़कों का जाल बिछाने का कार्य किया गया है। कोविडकाल में जनता के बीच राशन वितरण के साथ-साथ मास्क, सैनिटाइजर सहित अन्य सामग्री वितरित की गई। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड लगाए जाने के साथ ही ऑक्सीजन जनरेटर सतपुली अस्पताल में लगाया गया है। समस्त अस्पतालों में कोविड जांच के साथ अन्य जांचों के लिए उपकरण प्रदान किए गए हैं।