उत्तराखंड : हरक सिंह रावत इन दिनों काफी चर्चओं में चल रहे है, हाल ही में हरक सिंह रावत को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया है।
जानकारी मुताबिक़, हरक सिंह रावत को लेकर कांग्रेस ने अपना शुरुआती ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर लिया है। यदि हरक को वापस लेने पर सर्वसम्मति बन जाती है तो विधानसभा चुनाव में हरक भाजपा के खिलाफ प्रचार का अहम किरदार होंगे। सूत्रों के अनुसार हरक को केवल एक टिकट दिया जाएगा, जिस पर उनकी बहू अनुकृति गुसाईं लैंसडौन सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। हरक को कांग्रेस के लिए प्रचार करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
हरक सिंह रावत खुद भी कह चुके हैं कि वो भले कांग्रेस में रहें या न रहें, लेकिन वो अब केवल कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए काम करेंगे। दिल्ली में मौजूद सूत्रों ने कांग्रेस के इस फार्मूले की पुष्टि की है। उनका कहना है कि अभी प्रारंभिक स्तर पर इस फार्मूले पर कुछ सहमति बनी है। आगे इस विषय पर पूर्व सीएम हरीश रावत और शीर्ष नेता मंथन कर रहे हैं। हाईकमान जो भी तय करेगा, वहीं अंतिम होगा। आपको बता दें, कांग्रेस के वर्ष 2016 की बगावत के जख्म अभी हरे के हरे ही हैं।
हरक सिंह रावत इस बगावत के मुख्य सूत्रधारों में शामिल थे। लेकिन अब हालात पूरी तरह से हरक के खिलाफ हो चुके हैं। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग उन्हें लेने का इच्छुक नहीं है, लेकिन एक दूसरा वर्ग रणनीतिक लिहाज से हरक को उपयोगी भी मानता है। हरक की कार्यप्रणाली पर भले ही किंतु-परंतु हो सकता है, लेकिन चुनाव मैनेजमेंट की कला के सभी कायल भी हैं।
कांग्रेस का मानना है कि हरक सिंह रावत भाजपा की कई नाजुक नसों को भी जानते होंगे। लोहे को लोहे से काटने के अंदाज में हरक का इस्तेमाल प्रचार के मोर्चे पर किया जा सकता है। वर्ष 2016 की बगावत की सजा के तौर पर उन्हें केवल लैंसडौन सीट दी जाए, जिस पर वो चाहे जिसे भी चुनाव लड़ा सकते हैं। लैंसडौन में कांग्रेस को एक बड़े चेहरे की जरूरत भी लंबे समय से महसूस हो ।