भारत ने परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और फ्रांस के संयुक्त संकल्प का शुक्रवार को स्वागत करते हुए न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने एवं इनका पहले इस्तेमाल नहीं करने के अपने परमाणु सिद्धांत की फिर से पुष्टि की। भारत ने कहा कि वह सार्वभौम, बिना भेदभाव वाले और पुष्टि किये जाने योग्य निरस्त्रीकरण के लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (पी5) ने सोमवार को अपने संयुक्त बयान में कहा था कि परमाणु युद्ध को जीता नहीं जा सकता है और इसे कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए।
इन देशों ने परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने का भी संकल्प व्यक्त किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एक जिम्मेदार परमाणु हथियार सम्पन्न देश के रूप में भारत ‘इनका पहले उपयोग नहीं करने’ और गैर परमाणु हथियार सम्पन्न देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने के रुख के आधार पर न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने के सिद्धांत को मानता है।
परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के संबंध में पी5 के संयुक्त बयान का भारत ने किया स्वागत उन्होंने कहा कि भारत सार्वभौम, बिना भेदभाव वाले और पुष्टि किये जाने योग्य निरस्त्रीकरण के लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध है। बागची ने कहा, ” हम इस सप्ताह जारी इस संयुक्त बयान का स्वागत करते हैं, जिसमें परमाणु खतरों से निपटने के महत्व की पुन: पुष्टि की गई है, साथ ही इसमें सभी के लिये निर्बाध सुरक्षा एवं बिना परमाणु हथियारों वाले विश्व के लक्ष्य के लिये निरस्त्रीकरण की दिशा में प्रगति करके सुरक्षित माहौल बनाने की दिशा में काम करने की इच्छा व्यक्त की गई है।”